नैना तरस ये गए
"नैना तरस ये गए"
बरस बरस नैना सूख ये गए
दरस को तुम्हारे तरस ये गए
याद भी है तुमको या भूल तुम गए...
एक राजा एक रानी बनी
कैसी ये उनकी कहानी बनी
एक होकर भी
एक साथ न रहे
बरस बरस नैना सूख ये गए
दरस को तुम्हारे तरस ये गए...
कभी पुत्र का फर्ज तुमने निभाया
राजा बन प्रजा का मान भी बढ़ाया
पति धर्म को तुम भूल क्यों गए
बरस बरस नैना सूख ये गए
दरस को तुम्हारे तरस ये गए...
मेरे बिन तुम भी अधूरे ही रहे
सब जानकर हम चुप ही रहे
एक होकर भी हम दूर ही रहे
बरस बरस नैना सूख ये गए
दरस को तुम्हारे तरस ये गए...
शायद मिलन ये लिखा ही नहीं था
या फिर कभी हम अलग ही न हुए
दूर होकर हम एक ही रहे
बरस बरस नैना सूख ये गए
दरस को तुम्हारे तरस ये गए...
तुम्हारी दशा की खबर थी हमें
राजधर्म की खातिर चुप तुम रहे
इसीलिए धरा में समा हम गए
बरस बरस नैना सूख ये गए
दरस को तुम्हारे तरस ये गए...
जानते थे कलयुग आयेगा कभी
मर्यादाएं अपनी तेजेंगें सभी
इसीलिए हम उदाहरण बने
एक होकर भी दो रूप हम बने
बरस बरस नैना सूख ये गए
दरस को तुम्हारे तरस ये गए
याद भी है तुमको या भूल तुम गए...।।
©
कविता गौतम...✍️
# लेखनी
# लेखनी कविता
Niraj Pandey
11-Oct-2021 12:08 AM
वाह बहुत ही शानदार
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Kavita Gautam
11-Oct-2021 05:35 AM
धन्यवाद आपका 🙏
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Swati chourasia
10-Oct-2021 08:09 PM
Very beautiful 👌
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Kavita Gautam
11-Oct-2021 05:35 AM
धन्यवाद आपका 🙏
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Mukesh Duhan
10-Oct-2021 01:26 PM
Bhut sunder prastuti ji
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Kavita Gautam
11-Oct-2021 05:36 AM
धन्यवाद जी🙏
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